उच्च पद प्रभार से पूर्व नियमित नियुक्ति के कारण निकालें गए 75000 अतिथि शिक्षक कहां जाएं? उन्हें भी चुनाव पूर्व रोके गए अतिथि शिक्षकों के समान लाभ दिया जाए।

नियमित नियुक्ति के कारण निकालें गए 75000 अतिथि शिक्षक इंतजार कर रहे हैं।


उच्च पद प्रभार से रिक्त हुए शिक्षकों के पद पर उन्हें भी अवसर दिया जाए।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने आचार संहिता से पूर्व अतिथि शिक्षकों के लिए न के बराबर वह भी आधे अधूरे मन से कुछेक घोषणाएं की उन्हें भी पूरी तरह लागू नहीं किया। गया इस बीच उच्च पद प्रभार की प्रक्रिया में अतिथि शिक्षकों पर बेरोजगारी का संकट पूर्व में नियमित नियुक्ति से अभ्यर्थियों की प्रतिपूर्ति से प्रथक हुए अतिथि शिक्षकों के समान खड़ा हो गया है। चुनावी माहौल में आनन फानन में उच्च पद प्रभार से अतिशेष अतिथि शिक्षकों को तो रोक लिया गया जबकि नियमित नियुक्ति के कारण अतिशेष हुए शिक्षकों पर कोई विचार नहीं किए जाने से लगभग 75000 अतिथि शिक्षकों में भारी असंतोष है और वे विविध मंचों में चुनावी प्रचार करने आ रहे शिवराज सिंह चौहान से इस संबंध में जवाब तलब करना चाहते हैं, कि आखिर चुनावी सरगर्मी में आधे अधूरे और लीपापोती युक्त आदेशों के जरिए अतिथि शिक्षकों के साथ कब धोखाधड़ी की राजनीति की जाएगी। वे लोग जो नवनियुक्त शिक्षको के कारण बाहर किये गए हैं वे भी अतिथि शिक्षक हैं ठीक उसी प्रकार से जिस प्रकार उच्च पद प्रभार के कारण अतिशेष हुए अतिथि शिक्षक हैं अतिथि शिक्षकों को बाहर न करने का विचार सार्थक है किन्तु उसी अवस्था में जब इस प्रक्रिया में नवनियुक्त शिक्षको के कारण बाहर हुए अतिथि शिक्षकों को शामिल किया जाए इस समस्या का समाधान वरीयता के लिए मापदंड निर्धारित करके किया जाए। श्री शिवराज सिंह जी के द्वारा लिए गए छुटपुट निर्णय से सभी अतिथि शिक्षकों में खिन्नता है और आगामी प्रक्रिया में अतिथि शिक्षकों के लिए कार्य करने वाले पदों में अतिथि शिक्षकों में से ही वरीयता के मापदंड को निर्धारित करके न्यायोचित तरीके से नियुक्ति प्रक्रिया संपन्न करने की मांग करते हैं। यदि शिवराज सिंह और उनका संगठन राजनैतिक मंच से सभी अतिथि शिक्षकों को समान अवसर प्रदान करते हुए अतिथि शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया को संपन्न करते हुए नियमितीकरण का वादा नही करते हैं तो यह प्रक्रम न सिर्फ एक बार पुनः चुनावी समीकरण को ध्वस्त करने वाला सिद्ध होगा बल्कि आने वाली सरकार के लिए नासूर बन कर आक्रामक तरीके से उभरेगा। ऐसे सभी अतिथि शिक्षक जो नियमित भर्ती सहित अन्य कारणों से बाहर किये गए हैं उनकी संख्या लगभग 75000 है उनके समायोजन की रणनीति न बनाने के बजाय चुनावी माहौल साधने की रणनीति दुष्परिणाम के अतिरिक्त कुछ नहीं देने वाली है वहीं यदि भारतीय जनता पार्टी और श्री शिवराज सिंह चौहान इस विषय का संज्ञान नहीं लेते हैं तो ये सभी 75000 अतिथि शिक्षक जिन्हें उच्च पद प्रभार से पूर्व बाहर कर दिया गया है अन्य राजनीतिक दल का समर्थन मिलने की स्थिति में अपने कुल परिवार और चिरपरिचितों के साथ एक अतिथि शिक्षक 100 बोट के संकल्प के साथ पूरी तत्परता से उनका समर्थन कर देंगे।
यह पूरी तरह वैमनस्य भ्रष्टाचार है जिसमें जिसमें लंबे समय से कार्य करने वाले मूल अतिथि शिक्षकों को नियमित भर्ती करके निकाल दिया गया और बाद में सरकार के द्वारा 2019 की भांति न तो अतिथि शिक्षकों का संस्थावार आनलाइन पैनल जनरेट किया गया, न ही रिक्तियों का विधिवत प्रकाशन किया गया था। वहीं संस्था प्रमुखों द्वारा बड़ी आसानी से यह बोलकर की पद रिक्त नहीं है या नियुक्ति कर ली गई है अथवा पोर्टल पर पद प्रदर्शित नहीं हो रहा है अपने चहेते का मार्ग प्रशस्त कर दिया जाता था कई शिकायतों पर छुटपुट कार्यवाही करके प्रशासन भी अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता था इस प्रकार 2019 के बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सरकारी स्तर पर नीतिगत उदासीनता और उच्च प्रशासनिक स्तर पर घोर लापरवाही के कारण संस्था प्रमुखों एवं संकुल प्राचार्यो द्वारा उन लोगों की भर्ती की गई जिनका नियमित भर्ती के कारण निकालें गए अतिथि शिक्षकों में से उन लोगों का और नवीन अभ्यर्थियों का जिनका प्रशानिक स्तर पर निकटतम संबंध होने का कोई कोई आधार निहित था को छोड़कर शेष अतिथि शिक्षकों को आवेदन करने के स्कूलों का कृत्रिम अकाल सा स्थापित कर दिया गया। इस प्रकार से तैयार की गई अतिथि शिक्षकों की नई प्रजाति को अतिशेष मानकर अन्यत्र स्थानांतरित करने की योजना और घर पर बैठे हुए वर्षो से कार्यरत ऐसे अतिथि शिक्षक जिन्होंने पूरी पारदर्शिता से उच्चतम वरीयता को प्राप्त करने के उपरांत अतिथि शिक्षक का कार्य अर्जित किया था और अपना जीवन समर्पित कर दिया इनको समाहित न करना इस घोषणा को संदेह के घेरे में जकड़ कर चुनावी सौदेबाजी का परंपरागत जरिया बना देता है। इतना ही जिन अतिथि शिक्षकों को मुक्त न करने का आदेश जारी किया गया है वे भी इस पूरे घटनाक्रम को एकदम चुनावी सौदेबाजी का आकलन करते हुए मन ही मन पूरी तरह आश्वस्त है कि इस सरकार से जुमले ही सुने जा सकते हैं स्थायित्व गारंटी नहीं। सभी अतिथि शिक्षक एकजुट हैं और श्री शिवराज सिंह चौहान के चुनावी भाषणों पर यह सुनने के लिए आकंण्ठित हैं कि आखिर अगली पारी में अतिथि शिक्षकों का क्या होगा मौजूदा सरकार भले ही आचार संहिता के कारण निष्क्रिय हो लेकिन वह आगामी योजनाओं की तरंग लहरियों में डूबी हुई अगली पारी खेलने के लिए बेताब है चूंकि इस चुनावी पारी सारा दारोमदार कांटे की नोक पर है ऐसे में यदि उच्च पद प्रभार से पूर्व नियमित नियुक्ति से बाहर किए गए अतिथि शिक्षकों को हांसिए में रखे जाने से आंकड़ा जादुई हो सकता है वैसे अतिथि शिक्षक नाम की प्रजाति जिसके ब्रह्म विधाता श्री शिवराज सिंह चौहान हैं कांग्रेस के नियमितीकरण के वादे से खासी उत्साहित है।
आचार्य आशीष मिश्र

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