जब रावण ने खुद रचा था अपनी ही मृत्यु का षड्यंत्र
दशहरा विशेष// 𝐴𝑐𝒉𝑎𝑟𝑦𝑎 𝐴𝑠𝒉𝑒𝑒𝑠𝒉 𝑚𝑖𝑠𝒉𝑟𝑎
: रामायण पवित्र हिन्दू धर्म ग्रंथों में से एक है। रामायण में लिखित कई खण्डों में छोटे छोटे रोचक किस्से वर्णित हैं जिन्हें पढ़ने का अपना एक आनंद है। हम ऐसे ही एक दिलचस्प किस्से से आज हम आपको बताने जा रहे हैं। तो चलिए बिना देर किये बताते हैं आपको रामायण में लिखित रावण और श्री राम से जुड़े इस अनोखे वार्तालाप के बारे में।
समुद्र देव पर श्री राम हुए क्रोधित
ये किस्सा है रावण के श्री राम को आशीर्वाद देने और अपनी मृत्यु का षड्यंत्र स्वयं रचने का। दरअसल हुआ ये था कि श्री राम की सेना को समुद्र पर सेतु बांधना था किन्तु समुद्र देव के वेग के चलते ऐसा करना राम सेना के लिए संभव न था। जिसके बाद श्री राम ने समुद्र देव की तीन दिवस तक घोर आराधना की लेकिन समुद्र देव तब भी प्रकट नहीं हुए। समुद्र देव का ऐसा व्यवहार देख श्री राम क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने तरकश से तीर निकाल कर समुद्र पर निशाना साधा। समुद्र देव ने दिया श्री राम को सुझाव प्रभु का ऐसा क्रोध देख समुद्र देव फौरन श्री राम के समक्ष उपस्थित हो गए और उन्होंने श्री राम से क्षमा याचना की। श्री राम ने क्रोध त्याग कर समुद्र देव से सेतु बनाने की आज्ञा मांगी और लंका पर विजय का सुझाव भी। तब समुद्र देव ने श्री राम को सेतु बनाने की बात पर हामी भरते हुए लंका पर चढ़ाई से पहले यज्ञ करने का सुझाव दिया। श्री राम ने समुद्र देव के सुझाव अनुसार, यज्ञ करने की तैयारी आरंभ कर दी और यज्ञ से पूर्व शिवलिंग की स्थापना की।
प्रभु श्री राम ने भगवान शिव (भगवान शिव का पाठ) की आराधना करते हुए शिवलिंग का निर्माण किया और नियमानुसार उसकी विधिवत पूजा संपन्न कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया।
श्री राम ने दिया रावण को न्योता
शिवलिंग की स्थापना के बाद जब श्री राम यज्ञ करने के लिए सज्ज हुए तब एक समस्या ने समस्त राम सेना को घेर लिया। समस्या ये थी कि इस विकाराल और बंजर स्थान पर ब्राह्मण कहां से लाएं जो यज्ञ संपन्न करवा सके। तब श्री राम ने इस कार्य के लिए स्वयं रावण को चुना। ऐसा इसलिए क्योंकि रावण न सिर्फ ब्राह्मण था अपितु वेदों और शास्त्रों का महान ज्ञाता भी माना जाता था।
श्री राम ने रावण से मांगा आशीर्वाद
श्री राम ने रावण के पास यज्ञ करवाने के लिए न्योता भेजा। श्री राम जानते थे कि वह लंका नरेश रावण को बुलाएंगे तो वह नहीं आएगा। इसलिए उन्होंने न्योता ब्राह्मण रावण को भेजा। रावण ने अपने ब्राह्मण होने का धर्म निभाते हुए श्री राम का प्रस्ताव स्वीकार किया और श्री राम के समक्ष पहुंचकर पूर्ण विधि के साथ यज्ञ संपन्न भी करवाया। जब आशीर्वाद मांगने की बारी आई तब श्री राम ने रावण से लंका विजय का आशीर्वाद मांग लिया जिसे ब्राह्मण रूप में होने के कारण रावण को श्री राम को देना ही पड़ा।
रावण ने रचा अपनी मृत्यु का षड्यंत्र
ब्राह्मण के मुख निकला आशीर्वाद कभी वापस नहीं होता। ऐसे में हवन कर और भगवान श्री राम को आशीर्वाद प्रदान कर रावण ने स्वयं अपनी मृत्यु का मार्ग और भी प्रशस्त किया था।
The Story Of Dussehra
महाभारत के अनुसार, दशहरा उस दिन को भी चिह्नित करता है जब अर्जुन ने अकेले ही विशाल कौरव सेना को सम्मोहन अस्त्र का आह्वान करके सुला दिया। अर्जुन को विजय भी कहा जाता था – वह जो हमेशा विजयी होता है। इस प्रकार, यह दिन “विजय दशमी” के रूप में लोकप्रिय हो गया देश के अन्य हिस्सों में, दशहरा को ज्ञान की देवी सरस्वती के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने व्यापार के उपकरणों के साथ देवी की पूजा करते हैं।
गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल राज्यों में, मंदिरों में उपवास और प्रार्थना आमतौर पर देखी जाती है। उत्सव की नौ रातों के दौरान भक्त डांडिया रास, गरबा और धुनाची जैसे क्षेत्रीय नृत्य करते हैं, नृत्य और लोक गीत उत्सव का एक अभिन्न अंग हैं। दक्षिण की ओर, मंदिरों और प्रमुख किलों को रोशन किया जाता है, और रंगीन गुड़िया और मूर्तियों के दिलचस्प प्रदर्शन देखे जा सकते हैं जिन्हें गोलू या बोम्मई कोलू कहा जाता है।
दशहरे के दिन करें ये आसान उपाय, नौकरी, कारोबार सहित हर कार्यों में मिलेगी सफलता
शास्त्रों में दशहरे का विशेष महत्व बताया गया है. दशहरा की तिथि अबुझ मुहूर्तों में से एक होती है. ऐसी मान्यता है कि जो लोग दशहरा के दिन कोई भी नया कार्य शुरू करना बहुत शुभ होता है. ऐसे में यदि आप आर्थिक या मानसिक रूप से परेशान है और आप चाहते हैं कि आपके जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बरकरार रहे तो आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिसे करने से आपके जीवन की सभी परेशानी दूर हो जाएगी आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में....
नौकरी व कारोबार में उन्नति के लिए यदि आप नौकरी अथवा कारोबार को लेकर परेशान हैं तो दशहरे के दिन मां दुर्गा का ध्यान करते हुए उन्हें फूल व प्रसाद चढ़ाएं. इसके बाद 'ऊं विजयायै नमः' मंत्र का जाप करें. साथ ही शाम को तीन झाड़ू खरीद कर उसे मंदिर में दान दें. ऐसा करने से आपके नौकरी व व्यापार में उन्नति होनी शुरू हो जाती है.
आर्थिक लाभ के लिए यदि आप पर कर्जों का बोझ बढ़ गया है और आप आर्थिक रूप से परेशान हैं तो दशहरे के दिन रावण दहन के बाद शमी के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर पूजा करें. साथ ही इस दिन मां दुर्गा को शमी के पत्ते चढ़ाएं और शमी के पेड़ की मिट्ठी को घर में छिड़कें. ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और घर की तरक्की होनी शुरू हो जाती है.
पारिवारिक कलह से मुक्ति के लिए यदि घर में बार-बार कलह की स्थिति उत्पन्न हो रही है तो रावण दहन के बाद उस राख को घर लेकर आएं. इस राख को सरसों के तेल में मिलाकर घर के हर कोने में छिड़क दें. मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों के बीच आपसी मन मुटाव दूर होता है और आपसी प्रेम बना रहता है.
कारोबार में उन्नति के लिए यदि आपका कारोबार मंदा चल रहा है और आपके लाख प्रयासों के बावजूद भी उसमें नुकसान हो रहा है तो दशहरे के दिन शुभ मुहूर्त में एक नारियल लें और और उसे सवा मीटर पीले कपड़े में लपेट दें. इसके साथ एक जोड़ा जनेऊ और मिष्ठान्न के साथ राम मंदिर में भगावन राम के प्रतिमा के सामने अर्पित कर दें. ऐसा करने से आपके कारोबार में तरक्की होनी शुरू हो जाती है.
धन संबंधित समस्या के लिए यदि आप चाहते हैं कि आपके पास कभी रुपए पैसे की कमी न हो तो दशहरे के दिन गाय और काले कुत्ते को बेसन का लड्डू खिलाएं और इसे दशहरा से शुरू करके लगातार 51 दिन तक जारी रखें. मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन संबंधित समस्या दूर हो जाती है.
भाग्योदय के लिए यदि आपके लाख मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिल रही है तो इसका मतलब है कि आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा है. ऐसे में आप दशहरे के दिन अपने हाथ में एक फिटकरी का टुकड़ा लें और उसे लेकर किसी सुनसान जगह चले जाएं. इसके बाद ईसे अपने ऊपर सात बार वार करके पीछे फेंक दें. ध्यान रहे फेंकने के बाद मुड़कर न देखें. ऐसा करने से आपकी किस्मत खुल जाएगी और आपको कार्यों में सफलता मिलने लगेगी.
दशहरे पर आकर्षण शक्ति बढ़ाएं,रावण संहिता के 4 उपाय
जानिए, रावण के 4 तांत्रिक तिलक का रहस्य
महाज्ञानी रावण कई चीजों में पारंगत था। ज्योतिष शास्त्र में भी उसे महारत हासिल थी। तंत्र शास्त्र का भी वह महाज्ञाता था। इसी वजह से जो भी दशानन के संपर्क में आता था वह सहसा ही उससे मोहित हो जाता था
यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि रावण का प्रभाव उसकी तांत्रिक साधना के बल पर था। रावण कई ऐसे उपाय भी करता था जिससे जो भी सामान्य इंसान उसे देखता था वह आकर्षित हो जाता था। रावण संहिता में कुछ ऐसे ही खास प्रकार के तांत्रिक तिलक की चर्चा की गई है। जो भी व्यक्ति यह तिलक लगाता है सहज ही लोग उसकी तरफ खिंचे चले आते हैं। यहां जानिए कि कौन-कौन से हैं वह तांत्रिक तिलक...
1. आप सफेद आंकड़े (अकवन) को छाया में सुखा लें। इसके बाद उसे कपिला गाय यानी सफेद गाय के दूध में मिलाकर उसे पीस लें फिर उसका तिलक लगाएं। ऐसा करने वाले व्यक्ति का समाज में वर्चस्व स्थापित हो जाता है।
2. अपामार्ग के बीज को बकरी के दूध में मिलाकर उसे पीसकर उसका लेप बनाकर लगाएं। इस लेप को लगाने वाले व्यक्ति का समाज में आकर्षण काफी बढ़ जाता है। उसका कहा सभी लोग मानते हैं।
3. दुर्वा घास के चमत्कार से तो आप पहले से ही वाकिफ होंगे। शास्त्रों में भी इसके चमत्कार का वर्णन किया गया है। कई प्रकार के उपायों में इसका प्रयोग किया गया है। यदि कोई व्यक्ति सफेद गाय के दूध के साथ सफेद दुर्वा घास का लेप बनाकर उसका तिलक लगाए तो वह किसी भी काम में असफल नहीं होता है।
4. साथ ही यदि आप घर, समाज या ऑफिस जैसी जगहों पर लोगों को आकर्षित करना चाहते हैं तो बिल्वपत्र तथा बिजौरा नींबू को बकरी के दूध में मिलाकर उसका तिलक लगाएं। ऐसा करने पर आपका आकर्षण बढ़ेगा और आप हर जगह लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने में सफल रहेंगे।
जीवनशैली धर्म-ज्योतिष
दशहरे के दिन इन दो पौधों की पूजा करने से टल जाएगी हर बुरी बला, माँ लक्ष्मी करेंगी धन वर्षा
Oct 24, 2023
कल जीत के प्रतीक ‘दशहरे’ का त्योहार मनाया जायेगा। पुराणों के अनुसार रावण पर भगवान श्री राम की जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का ये त्योहार मनाया जाता है। विजयदशमी के दिन अपराजिता और शमी के पौधों का पूजा करने का विधान है। आज अपराजिता की पूजा से सालभर तक कार्यों में जीत हासिल होती है और किसी भी काम में रूकावट नहीं आ। आज दोपहर बाद घर के ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा को अच्छे से साफ करके, उसे गोबर से लीपकर, उसके ऊपर चंदन से आठ पत्तियों वाला कमल का फूल बनाना चाहिए और संकल्प करना चाहिए- “मम सकुटुम्बस्य क्षेम सिद्धयर्थे अपराजिता पूजनं करिष्ये” अगर आप ये मंत्र न पढ़ पायें, तो आपको इस प्रकार कहना चाहिए कि हे देवी! मैं अपने परिवार के साथ अपने कार्य को सिद्ध करने के लिये और विजय पाने के लिये आपकी पूजा कर रहा हूं। इस प्रकार कहकर उस कमल की आकृति के बीच में अपराजिता का पौधा रखना चाहिए।
इसके बाद अपराजिता की दाहिनी ओर जया और बायीं ओर विजया शक्ति का आह्वाहन करना चाहिए । इसके बाद तीनों को प्रणाम करते हुए क्रमशः ये कहना चाहिए- ‘अपराजितायै नमः’ ‘जयायै नमः’ ‘विजयायै नमः’। इस तरह मंत्र कहते हुए उनकी षोडशोपचार, यानि 16 उपचारों के साथ पूजा करनी चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए- ‘हे देवी, यथाशक्ति जो पूजा मैंने अपनी रक्षा के लिये की है, उसे स्वीकार कीजिये। इस प्रकार पूजा के बाद देवी मां से अपने स्थान पर वापस जाने का आग्रह करें। जबकि राजा के संदर्भ में अलग तरह से प्रार्थना बतायी गयी है। वर्तमान समय में राजा की जगह प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य उच्चाधिकारी ये प्रार्थना कर सकते हैं- ‘वह अपराजिता जिसने कण्ठहार पहन रखा है, जिसने चमकदार सोने की मेखला, यानि करधनी पहन रखी है, जो अच्छा करने की इच्छा रखती है, मुझे विजय दे।‘ इस प्रकार प्रार्थना के बाद देवी का विसर्जन करना चाहिए।
दशहरा यानी विजया दशमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। मान्यता है कि त्रेतायुग में इसी तिथि पर भगवान श्रीराम ने राक्षसों के राजा रावण का वध किया था। एक और मान्यता ये भी है कि देवी दुर्गा ने इसी तिथि पर महिषासुर नामक दैत्य को मारा था। इन दोनों मान्यताओं के चलते ये पर्व हर साल मनाया जाता है।
कब है दशहरा 2023? (Kab hai Dussehra 2023)
इस बार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 23 अक्टूबर, सोमवार से 24 अक्टूबर, मंगलवार की दोपहर 03:14 तक रहेगी। चूंकि दशमी तिथि का सूर्योदय 24 अक्टूबर को होगा, इसलिए इसी तारीख पर ये पर्व मनाया जाएगा। शस्त्र पूजन भी इसी दिन किया जाएगा।
ये हैं शस्त्र पूजा 2023 के शुभ मुहूर्त
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, 24 अक्टूबर, मंगलवार को शस्त्र पूजा के लिए श्रेष्ठ शुभ मुहूर्त दोपहर 01:58 से 02:43 मिनट तक रहेगा। इस दौरान शस्त्र पूजन करने से देवी की कृपा सभी पर बनी रहेगी और जीवन में यश-पराक्रमी की वृद्धि होगी।
दशहरे 2023 पर इस विधि से करें शस्त्र पूजा
- 24 अक्टूबर, मंगलवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद एक स्थान पर सभी अस्त्र-शस्त्र व्यवस्थित तरीके से जमा दें। शस्त्रों के ऊपर ऊपर जल छिड़क कर पवित्र करें। सभी अस्त्र-शस्त्रों पर मौली (पूजा का धागा) बांधे।
- शस्त्रों पर तिलक लगाएं और फूल माला पहनाएं। पूजा करते समय ये मंत्र बोलें-
आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये।
स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये॥
- इसके बाद महाकाली स्तोत्र का पाठ करें। तलवार या अन्य कोई शस्त्र हो तो उसका प्रदर्शन करें। अग्नि अस्त्र हो तो हर्ष फायर करें। दशहरे पर शस्त्र पूजा करने से शोक और भय का नाश होता है। साथ ही देवी विजया भी प्रसन्न होती हैं।
क्यों करते हैं शस्त्र पूजा? (Kyo Karte hai Shastra Puja)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर नाम का एक महाभयंकर राक्षस था। उसने अपने पराक्रम से देवताओं को भी हरा दिया था। तब सभी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए। उन्होंने अपने मुख से एक तेज प्रकट किया, जो देवी का स्वरूप बन गया। देवताओं ने देवी को अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। इन्हीं शस्त्रों की सहायता से देवी ने महिषासुर का वध किया। ये तिथि आश्विन शुक्ल दशमी थी। इसलिए इस तिथि पर शस्त्रों की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
संपन्नता और ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए दशहरे पर करें यह उपाय- आचार्य आशीष मिश्र
देश में दशहरा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है । बुराइयों के पर्याय राक्षस रावण पर विजय के उपलक्ष्य में दशहरा विजयादशमी के रूप मे मनाया जाता है। दशहरा का त्यौहार अश्चिन माह कृष्ण पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन लोग शस्त्र पूजा भी करते हैं जिससे कि दुश्मनों पर विजय प्राप्त की जा सके। लेकिन इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र एवं तंत्र शास्त्र में भी कई उपाय हैं जिन्हें लोग संपन्नता और एेश्वैर्य प्राप्त करने लिए अपनाते हैं। विश्व प्रसिद्ध वास्तु ज्योतिष एवं तंत्र गुरु मनीष साईं जी के अनुसार ये उपाय करें-
▪दशहरे के दिन दोपहर को घर के ईशान कोने में चंदन, कुमकुम और पुष्प से अष्टदल कमल की आकृति बनाएं और देवी जया व वजिया का स्मरण कर उनका पूजन करें। इसके बाद शमी वृक्ष की पूजाकर वृक्ष के पास की थोड़ी मिट्टी लेकर अपने घर में रखें। माना जाता है कि ऐसा करने से रुके हुए काम बनते हैं और गरीबी नहीं आती।
▪ यदि आप कानूनी दांव पेंच से परेशान हैं या मुकदमों में फंसे हैं तो दशहरे को शमी के पेड़ की पूजा करें और शाम को उसके नीचे दीपक जलाएं। ऐसा करने से मुकदमों में विजय मिलती है और धन की प्राप्ति होती है।
▪भगवान हनुमान संकटमोचन भी कहा जाता है। यदि आपके सामने किसी प्रकार का संकट है तो दशहरे के दिन सुबह गुड़ चने और शाम को लड्डुओं का भोग लगाकर प्रार्थना करें इससे हनुमान जी आपकी रक्षा करेंगे।
▪किसी भी क्षेत्र में विजय पाने के लिए दशहरे के दिन देवी पूजन करें और उन्हें 10 फल चढ़ाकर गरीबों में बांटें। देवी मां को फल चढ़ाते वक्त 'ॐ विजयायै नम:' मंत्र का जाप करें। यह उपाय आप दशहरे के दिन दोपहर को करें।
▪ किसी को अपने बुरे कार्यों के लिए यदि यमलोक का भय सता रहा हो तो दशहरे के दिन मां काली का ध्यान करते हुए उनसे क्षमा मांगें और काला तिल चढ़ाएं। माना जाता है कि ऐसा हर साल करने से यमलोक की यातनाओं का भय नहीं सताता।
▪दशहरा के दिन छोटी छोटी पर्चियों पर 'राम' नाम लिख कर उसे अलग अलग आटे की लोई में रखकर मछलियों को खिलाएं , इससे भगवान राजा राम की कृपा से जातक को जीवन में सभी सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।
▪राम नवमी और विजय दशमी दोनों ही दिन जीवन में शुभता, सफलता और सभी क्षेत्रो में विजय के लिए अपने घर और किसी मंदिर में लाल पताका अवश्य ही लगानी चाहिए ।
▪दशहरा के दिन से शुरू करते हुए लगातार 43 दिन तक बेसन के लड्डू कुत्ते को खिलाने चाहिए इससे धन लाभ के योग बनते है और धन में बरकत होने लगती है अर्थात घर कारोबार में धन रुकना भी शुरू हो जाता है
▪दशहरे से शरदपूर्णिमा तक चन्द्रमा की किरणों में अमृत होता है जो शरद पूर्णिमा के दिन अपने चरम पर होता है। अत: दशहरे से शरदपूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चंद्रमा के आगे त्राटक (बिना पलकें झपकाये एकटक देखना) करें । इससे नेत्रों के विकार दूर होते है नेत्रों की ज्योति तेज होती है ।
▪नागकेसर एक बहुत ही पवित्र और प्रभावशाली वनस्पति है।यह कालीमिर्च के सामान गोल होती है, गेरू रंग का यह गोल फूल घुण्डीनुमा होता है और इसके दाने में डण्डी भी लगी होती है । यह फूल गुच्छो में फूलता है, पकने पर गेरू रंग का हो जाता है। नागकेसर भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है और तन्त्र शास्त्र में भी इसका बहुत ही ज्यादा महत्व है । रामनवमी या दशहरा के दिन नागकेसर का पौधा लाएं और अपने घर में उसे दशहरा के दिन लगा कर नियमपूर्वक उसकी देखभाल करें । मान्यता है कि जैसे जैसे यह पौधा बढ़ता जायेगा आपकी भी उन्नति होती जाएगी ।
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